Psalms 34:12-16

12तुममें से जिस किसी को जीवन के मूल्य का बोध है
और जिसे सुखद दीर्घायु की आकांक्षा है,
13वह अपनी जीभ को बुरा बोलने से
तथा अपने होंठों को झूठ से मुक्त रखे;
14बुराई में रुचि लेना छोड़कर परोपकार करे;
मेल-मिलाप का यत्न करे और इसी के लिए पीछा करे.

15क्योंकि याहवेह की दृष्टि धर्मियों पर
तथा उनके कान उनकी विनती पर लगे रहते हैं,
16परंतु याहवेह बुराई करनेवालों से दूर रहते हैं;
कि उनका नाम ही पृथ्वी से मिटा डालें.
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